Dec 21, 2011

मप्र परिवहन नीति के चलते शासन को लग रहा करोड़ों का चूना


मध्यप्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है जहां पर सरकार की परिवहन नीति के चलते करोड़ों की चपत हर साल लग रही है और सरकार की नींद तक नहीं खुल रही है, न तो परिवहन मंत्री को इसकी चिंता है और न ही अफसरों को। वे सब अपने-अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं इसके चलते वाहन माफिया अपना लाभ उठा रहा है और नुकसान सरकार के खजाने को हो रहा है।

भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य परिवहन नीति के चलते शासन को करोड़ों रूपये के राजस्व की चपत लग रही है। दरअसल तत्कालीन परिवहन मंत्री उमाशंकर गुप्ता के कार्यकाल मेें केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1988 के नियमों के तहत पड़ोसी राज्यों के वाहनों के साथ पारस्परिक परिवहन करार किया गया था, जिसमें मध्यप्रदेश आने वाले पर्यटक वाहनों, जिसमें वोल्वो बसें, मिनी बस, जीप, टैक्सी और केरवान आदि के प्रदेश में घुसने पर एक निश्चित राशि देय करनी होगी। यह करार राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्यों के साथ संयुक्त रूप से किया गया था। राज्य शासन ने इस संयुक्त प्रस्ताव को प्रदेश की परिवहन नीति में भी शामिल किया। समस्या तब शुरू हुई जब इस नीति का पालन मध्यप्रदेश में तो बदस्तूर जारी रहा, लेकिन अन्य प्रदेशों ने उनके राज्यों में घुसने वाले वाहनों से अपनी इच्छा के अनुरूप मनमानी राशि वसूलनी प्रारंभ कर दी। प्रदेश में एंट्री करने वाले वाहनों से परिवहन और नगरीय प्रशासन विभाग मिलकर शुल्क लेते हैं।
पिछड़ गया मध्यप्रदेश एंट्री फीस लेने में:
     एंट्री फीस लेने के मामले में प्रदेश पिछड़ गया है। आलम यह है कि अब प्रदेश के पर्यटक वाहन यदि अन्य राज्यों में जाते हैं तो उन्हें उन राज्यों के अनुसार शुल्क देना पड़ता है, जो लाखों में हो जाता है, जबकि राज्य में आने वाले वाहनों को अभी भी 2000 रूपए मात्र में घुसने दिया जा रहा है। एक बार एंट्री हो जाने के बाद इन वाहनों पर किसी की निगरानी नहीं होती, जिसके चलते ये कई-कई दिन यहां रूक जाते हैं, जिससे शासन को रोजाना लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है। इसके उलट हमारे प्रदेश के वाहनों को दूसरे राज्यों की सीमा से लगकर गुजरने में भी पूरी राशि परिवहन विभाग को चुकानी पड़ रही है। इससे यहां के वाहन चालक परेशान हैं। वाहन चालकों का कहना है कि वे एक बार किसी राज्य की सीमा में घुस जाएं तो भी उन्हें वह राशि चुकानी ही पड़ती है। अलग-अलग राज्य की अलग-अलग एंट्री फीस निर्धारित है। इनमें हरियाणा में 7500 रूपये प्रति वाहन, महाराष्ट्र में 10 से 15 हजार प्रति वाहन, आंध्रप्रदेश में 35 हजार है। इन सबके बावजूद मध्यप्रदेश में आज भी 2000 रूपये एंट्री शुल्क लिया जा रहा है, जिससे परिवहन विभाग का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है।


No comments:

Post a Comment