कुछ महीनों पहले शिवराज सरकार के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में यह कहकर भाजपा की राजनीति को गर्म कर दिया था कि उनके हाथ शोले के ठाकुर की तरह बंधे हुए हैं। बयान पर काफी राजनीति होने के बाद बयानवीर विजयवर्गीय ने अपना रूख बदला और सफाई में सीएम चौहान की जमकर स्तुति गान की, जिसका परिणाम यह रहा कि छ: माह बाद सीएम चौहान के किचिन कैबिनेट में एक बार फिर मुख्य भूमिका अदा करने लगे हैं।
अपनी तुलना शोले के हाथ कटे ठाकुर से करने वाले उद्योगमंंंंत्री कैलाश विजयवर्गीय अब अपने पुराने बयान से भी पलट गये है कि कभी उन्होंने शोले के ठाकुर से अपनी तुलना की थी, बल्कि अब तो यह भी कहने लगे है कि ठाकुर के हाथ फिर वापस आ गये हैं।
कोई एक साल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पर्दे के पीछे से विरोध कर रहे उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अचानक क्यों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कदम-ताल करते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे की कहानी यह है कि मुख्यमंत्री जब संकटों में घिरने लगे, तो उन्हें अपने पुराने साथियों की याद सताने लगी और वे अपने संकटों से बाहर निकलने के लिए साथियों की मदद मांगने लगे। यह स्थिति बनी विपक्ष द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव से। इस दौरान विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री चौहान का भरपूर सपोर्ट किया और मदद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। सूत्रों का कहना है कि विजयवर्गीय चाहते हैं कि किसी भी तरह से वे एक बार फिर से सरकार में ताकतवर मंत्री की भूमिका अदा करें, क्योंकि अभी तक चौहान ने उन्हें किनारे कर रखा है।
विजयवर्गीय के पास दस विभाग:
संभवत: पूरी कैबिनेट में विजयवर्गीय इकलौते कैबिनेट मंत्री है, जिनकी झोली में एक नहीं बल्कि दस विभागों का जिम्मा है। काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को 28 अक्टूबर, 2011 को जैव विविधता और जैव प्रौद्योगिकी विभाग का जिम्मा भी मिला है। इसके साथ ही विजयवर्गीय के विभागों की संख्या बढक़र दस हो गई है और अब उनकी इच्छा लोक निर्माण विभाग को पाने की है। इस विभाग में विजयवर्गीय ने खासी पैठ बना ली थी और उस पर वे फिर से आना चाहते हैं।
उद्योगपतियों को आकर्षित कर पाये:
भाजपा की पिछली सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहे विजयवर्गीय को दोबारा सरकार बनने के बाद वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार के साथ सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी, सार्वजनिक उपक्रम, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामोद्योग विभाग दिए थे। खजुराहो में हुई दूसरी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट सहित निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ विदेश दौरे भी उनके पास ये विभाग आने के बाद हुए। पिछले महीनों में मुख्यमंत्री के साथ विजयवर्गीय ने चीन दौरा किया था। राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद 25 अक्टूबर को 01 नवंबर 2009 को जारी हुए मंत्रियों के कार्य आवंटन में आंशिक संशोधन कर जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी का कार्य भी विजयवर्गीय को सौंप दिया गया है। विजयवर्गीय के अनुसार उन्हें अभी नए विभाग मिलने की जानकारी नहीं है। जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग लगभग एक साल से मुख्यमंत्री के पास थे। वर्ष 2008 में इनका जिम्मा तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा को दिया गया था।
लावारिस से हैं दोनों विभाग:
मध्यप्रदेश सरकार के विभागों की सूची में शामिल जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभागों को भले ही अंतर्राष्ट्रीय तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता हो, लेकिन प्रदेश में इनकी स्थिति ठीक नहीं है। फिलहाल इसके प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग के पीएस प्रभांशु कमल हैं। मामूली बजट और बेहद कम अमले वाले इस विभाग की वेबसाइट पर अभी भी रूस्तम सिंह ही विभागीय मंत्री हैं, जबकि वे 2008 में विधानसभा का चुनाव हार कर सरकार से बाहर हो गए थे।
अपनी तुलना शोले के हाथ कटे ठाकुर से करने वाले उद्योगमंंंंत्री कैलाश विजयवर्गीय अब अपने पुराने बयान से भी पलट गये है कि कभी उन्होंने शोले के ठाकुर से अपनी तुलना की थी, बल्कि अब तो यह भी कहने लगे है कि ठाकुर के हाथ फिर वापस आ गये हैं।
कोई एक साल से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पर्दे के पीछे से विरोध कर रहे उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अचानक क्यों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कदम-ताल करते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे की कहानी यह है कि मुख्यमंत्री जब संकटों में घिरने लगे, तो उन्हें अपने पुराने साथियों की याद सताने लगी और वे अपने संकटों से बाहर निकलने के लिए साथियों की मदद मांगने लगे। यह स्थिति बनी विपक्ष द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव से। इस दौरान विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री चौहान का भरपूर सपोर्ट किया और मदद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। सूत्रों का कहना है कि विजयवर्गीय चाहते हैं कि किसी भी तरह से वे एक बार फिर से सरकार में ताकतवर मंत्री की भूमिका अदा करें, क्योंकि अभी तक चौहान ने उन्हें किनारे कर रखा है।
विजयवर्गीय के पास दस विभाग:
संभवत: पूरी कैबिनेट में विजयवर्गीय इकलौते कैबिनेट मंत्री है, जिनकी झोली में एक नहीं बल्कि दस विभागों का जिम्मा है। काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को 28 अक्टूबर, 2011 को जैव विविधता और जैव प्रौद्योगिकी विभाग का जिम्मा भी मिला है। इसके साथ ही विजयवर्गीय के विभागों की संख्या बढक़र दस हो गई है और अब उनकी इच्छा लोक निर्माण विभाग को पाने की है। इस विभाग में विजयवर्गीय ने खासी पैठ बना ली थी और उस पर वे फिर से आना चाहते हैं।
उद्योगपतियों को आकर्षित कर पाये:
भाजपा की पिछली सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री रहे विजयवर्गीय को दोबारा सरकार बनने के बाद वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार के साथ सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी, सार्वजनिक उपक्रम, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामोद्योग विभाग दिए थे। खजुराहो में हुई दूसरी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट सहित निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ विदेश दौरे भी उनके पास ये विभाग आने के बाद हुए। पिछले महीनों में मुख्यमंत्री के साथ विजयवर्गीय ने चीन दौरा किया था। राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद 25 अक्टूबर को 01 नवंबर 2009 को जारी हुए मंत्रियों के कार्य आवंटन में आंशिक संशोधन कर जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी का कार्य भी विजयवर्गीय को सौंप दिया गया है। विजयवर्गीय के अनुसार उन्हें अभी नए विभाग मिलने की जानकारी नहीं है। जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग लगभग एक साल से मुख्यमंत्री के पास थे। वर्ष 2008 में इनका जिम्मा तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा को दिया गया था।
लावारिस से हैं दोनों विभाग:
मध्यप्रदेश सरकार के विभागों की सूची में शामिल जैव विविधता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभागों को भले ही अंतर्राष्ट्रीय तौर पर महत्वपूर्ण माना जाता हो, लेकिन प्रदेश में इनकी स्थिति ठीक नहीं है। फिलहाल इसके प्रमुख सचिव पशुपालन विभाग के पीएस प्रभांशु कमल हैं। मामूली बजट और बेहद कम अमले वाले इस विभाग की वेबसाइट पर अभी भी रूस्तम सिंह ही विभागीय मंत्री हैं, जबकि वे 2008 में विधानसभा का चुनाव हार कर सरकार से बाहर हो गए थे।
No comments:
Post a Comment