मध्यप्रदेश को कर्म भूमि मानकर वर्षों तक राजनीति करते रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पिछले तीन-चार सालों से राजनीतिक गतिविधियों से दूर अपने बंगले तक दिल्ली में सिमट कर रह गये हैं, न तो उनके बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक हो रही है और न ही वे जनता के बीच आ रहे हैं। इस बीच अचानक भाजपा सरकार को अटल जी की याद सताने लगी है।
भोपाल। पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी का जन्म दिन 25 दिसंबर को मनाया जाता है, इस दिन प्रदेश सरकार ने अटल जी के नाम पर विश्वविद्यालय खोलने का ऐलान किया था, लेकिन ऐसा लग रहा है कि विश्वविद्यालय का तोहफा फिलहाल अटल जी को अभी नहीं मिल पायेगा। अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद राज्य सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को हिन्दी विश्वविद्यालय का तोहफा नहीं दे पाएगी। विवि की स्थापना को राज्यपाल रामनरेश यादव की मंजूरी शुक्रवार को मिल गई है, लेकिन इतने कम समय में गरिमापूर्ण ढंग से इसके शुभारंभ का बड़ा आयोजन करना संभव नहीं हो पा रहा है।
अटलजी के जन्मदिन पर उनके नाम से कोई न कोई नया काम करने की शुरूआत शिवराज सिंह चौहान ने तीन साल पहले शुरू की थी। उनकी मंशा थी कि इस बार भी उनके जन्मदिन पर आरएसएस की इच्छा के अनुरूप हिंदी विवि शुरू किया जाए। इसके लिए सरकार ने विधानसभा के पिछले सत्र में विवि की स्थापना संबंधी विधेयक पारित कराया। सरकार चाहती थी कि इसका उद्घाटन एक भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के हाथों से कराया जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री भी उनसे समय मांग रहे हैं। उच्च शिक्षा मंत्री के स्तर पर भी आयोजन को व्यापक बनाने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिलने में हुई देरी के चलते 25 दिसंबर को यह कार्यक्रम होने की गुंजाइश नहीं दिख रही। इसलिए अब राष्ट्रपति से 25 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच का समय मांगा जा रहा है।
सम्मानित होंगे लेखक:
अपनी लेखनी के जरिए हिन्दी की सेवा करने वाले देशभर के ख्यातिनाम लेखक कवि और साहित्यकारों के वंशजों का इस मौके पर सम्मान करने की उच्च शिक्षा विभाग की योजना है। इस सूची में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत, माखनलाल चतुर्वेदी जैसे तीन दर्जन से ज्यादा नाम शामिल हैं।
संघ चाहता था विवि बने:
आरएसएस चाहता है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल सहित सभी विषयों में हिन्दी माध्यम से शिक्षा की शुरूआत मध्यप्रदेश से हो। पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन ने राजधानी में एक कार्यक्रम में यह इच्छा जताई थी। उसके बाद ही प्रदेश सरकार ने इस दिशा में काम शुरू किया। विवि के लिए नया भवन बनने तक यह भोज विवि के लिए नया भवन बनने तक यह भोज विवि परिसर से संचालित होगा।
मंत्री का कहना है:
हिन्दी विश्वविद्यालय विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। विवि की स्थापना के कार्यक्रम की तैयारियां शुरू की जा रही है। विवि की स्थापना राष्ट्रपति के कर कमलों से कराने के प्रयास चल रहे हैं। - लक्ष्मीकांत शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री।
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