Feb 23, 2013

निशाने पर हैट्रिक कटेगें मंत्री और विधायकों के टिकट

तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा उन मंत्रियों और विधायकों के इस बार पर कतर सकती है, जो या तो क्षेत्र में तो निष्क्रिय हैं या उनकी भूमिका भी संदिग्ध हो गई है। करीब 80 से 100 विधायकों को बदले जाने की चर्चाएं हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने स्तर पर सर्वे कराया है, तो संगठन ने भी अलग-अलग एजेंसियों से मंत्रियों और विधायकों का फीडबैक बुलाया है जिसमें काफी विधायकों के टिकट कटने के आसार बढ़ गये हैं।
भोपाल,देवेन्द्र मिश्रा। भाजपा मे तीसरी बार सत्ता की वैतरणी पार करने के लिए हर संभव हथकंडे अपनाने पर विचार किया जा रहा है ताकि मध्यप्रदेश में तीसरी बार सत्ता हासिल की जा सके। सत्ता और संगठन पर मुख्यमंत्री और नरेंद्र सिंह तोमर ही सारे निर्णय लेंगे। 230 विधानसभा क्षेत्रों में से उन विधायकों को इस बार फिर मौका नहीं देने पर विचार किया जा रहा है, जो कि 500 से 1000 वोट के अंतर से जीते थे और उन्होंने बीते पांच साल में इस वोट प्रतिशत को बढ़ाने में कोई खास मशक्कत नहीं की। यहां तक कि नगरीय निकाय, पंचायत, मंडी और सहकारिता चुनाव में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। ऐसे विधायकों को घर बैठाने का पार्टी ने इरादा बना लिया है। इसके साथ ही जिनकी छवि अपने विधानसभा क्षेत्र में धूमिल हो गई है उन्हें भी टिकट नहीं देने का इरादा बना लिया गया है।
    इस छटनी की जानकारी लगते ही आजकल मध्यप्रदेश के मंत्रियों और विधायकों ने दिल्ली में एक-एक आका खोज लिया है और वे अपने उन्हीं आकाओं के सहारे फिर से टिकट लेने के लिए जोड़-तोड़ भी कर रहे हैं। गुजरात में नरेंद्र मोदी ने नये चेहरों पर दांव खेला था, इसी प्रयोग को मध्यप्रदेश में लागू किया जाना है, लेकिन मप्र में यह थोड़ी कठिन डगर है। इस दिशा में चौहान और तोमर विचार जरूर कर रहे हैं, लेकिन विरोध को देखते हुए कुछ चेहरों पर फिर से दांव भी लगाया जा सकता है।
प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ संकेत दिए हैं कि सत्ता में वापसी के लिए भाजपा कमजोर विधायक और मंत्रियों के टिकट काटेगी। एक बात सभी जानते हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर कभी भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाइन से बाहर नहीं जाते। वे विधायक सकते में हैं, जिनकी स्थिति पिछले चुनाव में बेहतर नहीं थी और वे अब तक इसमें सुधार भी नहीं कर पाए। दूसरी ओर तोमर के इस बयान को संगठन की ओर से सत्ता सुधार के लिए चेतावनी भी माना जा रहा है।
एंटी इन्कंबैंसी भी एक सिरदर्द:
यह भी संयोग है कि भाजपा प्रदेश मे पहली बार लगातार दस साल सत्ता में रहने का रिकार्ड बना रही है। अब उसकी तमन्ना इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को फिर फतह करने की है। मुख्यमंत्री के तौर पर आठ साल का कार्यकाल पूरा कर चुके शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के दम पर भाजपा को लगता है कि इस बार भी वह चुनावी वैतरणी पार कर लेगी,लेकिन उसे विपक्षी दलों की सक्रियता से ज्यादा चिंता एंटी इन्कंबैंसी और अपने विधायकों की पुअर परफार्मेंस को लेकर है। इसीलिए मंत्रियों और विधायकों को बार-बार अपने क्षेत्र में सक्रिय रहने, जनता के बीच भेजने के जतन किए जा रहे हैं। कमजोर विधायकों की ताकत बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री खुद जिलों में जाकर अंत्योदय मेले लगवा रहे हैं। विकास कार्यों की सौगातें बांटी जा रही हैं। लोगों की समस्याएं सुनने और दूर करने के प्रबंध हो रहे हैं। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी तो पार्टी टिकट वितरण में सख्ती बरतने का मन बनाए बैठी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार कम से कम 80 से 100 विधायकों के टिकट कटेंगे। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल हैं, जिनके बारे में संगठन को नकारात्मक रिपोर्ट मिल रही है।
निजी एजेंसियों से सर्वे:
    प्रदेश में भाजपा फिर सरकार बनाने की संभावना और विधायकों के बारे में अलग-अलग निजी एजेंसियों से सर्वे करा रही है। सर्वे में विधायक से संबंधित सवालों के साथ उनके क्षेत्र में सरकारी योजनाओं के प्रति लोगों का रवैया और दूसरे दलों से टक्कर दे सकने वाले संभावित प्रत्याशियों के बारे में पूछा जा रहा है। जातिगत और सामाजिक समीकरणों के साथ भाजपा के भीतर चुनाव लड़ सकने वाले लोगों के नाम पर पैनल भी एजेंसी बना कर देगी। भाजपा इससे पहले भी दो राउंड का सर्वे करा चुकी है, जिसकी रिपोर्ट से कमजोर विधायकों को अवगत कराया गया था कि निजी एजेंसियों के अलावा जन अभियान परिषद ने भी अपने स्तर पर एक सर्वे किया है।

पिछले चुनाव में कटे थे टिकट:
    भाजपा ने 2008 के चुनाव के समय भी करीब 40 विधायकों के टिकट काटे थे। दो दर्जन से अधिक नेता तथा विधायकों के क्षेत्र भी बदले गए थे। उस वक्त इस बदलाव की मुख्य वजह परिसीमन था। हालांकि किसी मंत्री का टिकट नहीं काटा गया था। कुछ मंत्रियों के क्षेत्र परिसीमन की वजह से बदले गए थे, जिनमें नरोत्तम मिश्रा, अजय विश्नोई, जगदीश देवड़ा, हरिशंकर खटीक जैसे मंत्री और विधायक शामिल थे।
एक-एक विधायक पर नजर:
    भाजपा अपने 152 विधायकों में से प्रत्येक के परफार्मेन्स पर नजर रखे हुए हैं। विधायकों की सक्रियता, क्षेत्र में उनकी पकड़, विधायक को चुनौती दे सकने वाले कारण और चुनाव में उनके जीतने की संभावना आदि बिंदुओं पर विधायकों के बारे में फीडबैक लिया जा रहा है। प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन द्वारा बनाए गए वॉर रूम में सभी विधायकों से संबंधित रिकार्ड रखा जा रहा है। टिकट वितरण में इस रिकार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

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